गुस्ताखी माफ़ हरयाणा
पवन कुमार बंसल
स्वर्ण जयंती में साहित्य का महाकुम्भ
लेखक वही जिसे खंडेलवाल साहिब सर्टिफिकेट दे।
स्वर्ण जयन्ती के मोके पर हरयाणा सरकार पंचकूला में लेखको व साहित्यकारों के महाकुम्भ का आयोजन कर रही है.
आयोजन की जिमेवारी जनाब खंडेलवाल साहिब को दी गयी है। एक और अफसर राजीव शर्मा भी इस से जुड़े है। रिटायरमेंट के बाद सरकार ने उनके लिए कार का इंतजाम कर रखा है। अब जाहिर है की जिसे खण्डेलवाल साहिब या शर्मा जी लेखक मानेगे वो ही
इस महाकुम्भ में शामिल होगा। महाकुम्भ में शामिल होने वाले साहित्यकारों और लेखको को मुबारिक.. वैसे अपन को तो कोई हरयाणवी लेखक ही नहीं मानता।
पता नहीं क्या क्राइटेरिया है. हरयाणा की राजनीती और संस्कृति पर दो किताबे और हरयाणा की पत्रकारिता पर एक किताब लिख चुका हूँ। बीस साल पहले हास्य के माध्यम से लिखी किताब हरयाणा के लालो के सबरंगे किस्से के बारे तो प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष न्यायमूर्ति सांवंत ने लिखा था के लेखक ने राजनीतिक व्यंग पर साहित्य में वृद्धि तो की है बल्कि किताब लिखकर जनसेवा भी की है. पुलिस अफसर के पी सिंह ने लिखा था की पुस्तक में दिए किस्से हरयाणा के लोगो की पृष्ठभूमि और सांस्क़ृतिक विरासत से जुड़े है। देवीलाल यूनिवर्सिटी सिरसा के कुलपति जनाब भारद्धाज साहिब ने तो कहा की लेखक ने पत्रकारिता को नया आयाम दिया है। पुस्तक लोक जीवन, एवं मानसकिता, पत्रकारिता और साहित्य की त्रिवेणी है। महर्षि दयानद यूनिवर्सिटी रोहतक के हिंदी विभाग के डॉ, बैजनाथ सिंघल ने तो गजब कर दिया। उनकी टीपणी पड़कर एक बार तो मे डर ही गया की कही कोई गलत काम तो नहीं कर दिया। उनका कहना था के मेने लघु कथा और लोक वार्ता से भिन्न साहित्य की एक नई विधा को जन्म दिया है। हरयाणा साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सत्यपाल गुप्ता ने लिखा की किताब में हरयाणवी हास्य व्यंग को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है और लेखक ने हरयाणवी साहित्य की महान सेवा की है. राजकीय महाविद्यालय जींद के हिंदी विभाग के अध्यक्ष ओ. पी. मित्तल ने लिखा की किताब के प्रकाशन से साहित्य में रोचक , राजनीतिक विषयो की सार्थक अभिव्यक्ति का सूत्रपात हुआ है। ऐसी किताबे छपती रही तो लोगो की किताब पड़ने में रूचि जो टी वी के कारण खत्म होती जा रही है वापिस लोट आएगी
हरयाणा साहित्य शोध संस्थान ने लिखा की किताब हरयाणा के नेताओ और राजनीती पर शोध करने वालो के लिए प्रकाश स्तम्भ है।
अब में यह पाठको की अदालत में छोड़ता हूँ के क्या मै लेखक हो या नही। मुझे सरकार के सर्टिफिकेट के जरुरत नहीं। पाठक ही मेरे माई बाप। उनका विश्वास और प्रेम मेरी पूंजी और ताकत
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Pawan Kumar Bansal
Author and Journalist
Gurgaon Haryana
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